स्थानीय कर्मचारियों का आरोप – नियमों को दरकिनार कर मनमानी नियुक्ति की जा रही, विभागीय मिलीभगत की आशंका
सक्ति, छत्तीसगढ़ | जिला सक्ति के कुटराबोड़ गांव स्थित अनुसूचित जनजाति बालक आश्रम एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गया है। इस बार मामला है दैनिक मजदूर की नियुक्ति को लेकर, जहां स्थानीय निवासी धनराज पंकज द्वारा नियुक्ति की मांग ने पूरे विभाग में हलचल मचा दी है। मामला अब इतना तूल पकड़ चुका है कि संविदा कर्मियों ने इसे पूर्व नियोजित साजिश करार देते हुए उच्चाधिकारियों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
धनराज ने दी नियुक्ति की अर्जी, कहा – बेहद गरीब हूं, परिवार पालना मुश्किल
ग्राम हरेकला निवासी धनराज पंकज, पिता कन्हैया लाल पंकज ने सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग को आवेदन देकर खुद को दैनिक मजदूर पद पर नियुक्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वे पढ़े-लिखे हैं और उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। “माता-पिता बीमार हैं, भाई-बहनों की जिम्मेदारी है। अगर मुझे आश्रम में काम मिल जाए तो दो वक्त की रोटी जुटा सकूंगा,” – धनराज ने भावुक अपील में कहा।
छह कर्मचारी पहले से कार्यरत, फिर भी नई नियुक्ति की कोशिश!
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, आश्रम में पहले से ही छह कर्मचारी कार्यरत हैं और कोई पद रिक्त नहीं है। ऐसे में बिना विभागीय आदेश के किसी बाहरी व्यक्ति को नियुक्त करने की प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। यह भी सामने आया है कि धनराज खुद पहले से संविदा पर काम कर रहे थे, और अब उन्हें हटाकर नए व्यक्ति को लाने की साजिश रची जा रही है।
कर्मचारियों का फूटा गुस्सा, कहा – साजिश के तहत हटाया जा रहा है पुराने कर्मचारी को
आश्रम में कार्यरत संविदा कर्मचारियों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया सुनियोजित साजिश है। “जो लोग वर्षों से ईमानदारी से सेवा दे रहे हैं, उन्हें हटाकर बाहर से किसी को लाया जा रहा है। ये सरासर अन्याय और नियमों की धज्जियां उड़ाना है,” – एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया।
विभागीय मिलीभगत का आरोप, जांच की मांग तेज
स्थानीय लोगों और कर्मचारियों ने विभागीय अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह से बाहरियों को बिना प्रक्रिया नियुक्त किया गया तो कई संविदा कर्मचारी सड़क पर आ जाएंगे। साथ ही उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि न्याय नहीं मिला तो वे धरना-प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे।
क्या है पूरा मामला
अनुसूचित जनजाति बालक आश्रम में दैनिक मजदूर की नियुक्ति को लेकर विवाद, संविदा कर्मचारी को हटाने की साजिश का आरोप
जिला सक्ति के कुटराबोड़ गांव स्थित अनुसूचित जनजाति बालक आश्रम में दैनिक मजदूर पद को लेकर विवाद की स्थिति बन गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, ग्राम हरेकला निवासी धनराज पंकज पिता कन्हैया लाल पंकज ने सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग, जिला सक्ति को आवेदन देकर बालक आश्रम कुटराबोड़ में दैनिक मजदूर के पद पर नियुक्ति की मांग की है।
धनराज ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि वे पढ़े-लिखे हैं और आर्थिक रूप से बेहद परेशान हैं। परिवार में माता-पिता, भाई-बहनों की जिम्मेदारी उठाने के लिए उन्हें रोजगार की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने आग्रह किया कि उन्हें बालक आश्रम में कार्य करने की अनुमति प्रदान की जाए जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
हालांकि, इसी बीच एक नया मोड़ तब आया जब यह जानकारी सामने आई कि बालक आश्रम कुटराबोड़ में पहले से ही 6 कर्मचारी नियुक्त हैं और सभी पद भरे हुए हैं। इसके बावजूद किसी नए व्यक्ति को बिना विभागीय आदेश के काम पर रखा जा रहा है, जिससे वर्तमान संविदा कर्मियों में असंतोष की स्थिति बन रही है।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, आश्रम में कार्यरत एक संविदा कर्मचारी – जो कथित रूप से धनराज हैं – को हटाने की कोशिश की जा रही है, जबकि वह लंबे समय से सेवा दे रहे हैं। इस प्रकार की कार्रवाई को अन्यायपूर्ण बताते हुए संबंधित कर्मियों ने उच्च अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई है।
स्थानीय कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि बिना कोई ठोस कारण बताए किसी को नौकरी से हटाया जा रहा है, जो नियमन के विरुद्ध है। उन्होंने मांग की है कि विभाग इस मामले की निष्पक्ष जांच करे और किसी भी कर्मचारी के साथ अन्याय न होने दे।
इस पूरे घटनाक्रम ने आदिवासी विकास विभाग और बालक आश्रम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि सहायक आयुक्त और जिला प्रशासन इस प्रकरण में क्या रुख अपनाते हैं — क्या नियमों के अनुरूप निष्पक्ष जांच होगी, या एक बार फिर गरीब और संविदा कर्मचारी सिस्टम की चक्की में पिसकर रह जाएगा?