ध्रुव नारायण सिंह : रॉयल विरासत से जनसेवा तक का सफर, 66वां जन्मदिवस : रॉयल अंदाज में मना रहे उत्सव

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भोपाल, 26 जुलाई।
मध्य विधानसभा के पूर्व विधायक और भोपाल की राजनीति में रॉयल व्यक्तित्व के धनी ध्रुव नारायण सिंह का 66वां जन्मदिवस शनिवार को राजधानी में धूमधाम से मनाया गया। अरेरा कॉलोनी स्थित उनके निवास और विट्ठल मार्केट के 10 नंबर स्थित कार्यालय में सुबह से ही शुभकामनाओं का सिलसिला शुरू हो गया। कार्यकर्ता, वरिष्ठ नेता, पत्रकार, समाजसेवी और रिश्तेदार बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। राजधानी समाचार के प्रधान संपादक नीरज विश्वकर्मा सहित कई पत्रकारों ने पुष्पगुच्छ भेंट कर बधाई दी। ईखबर मीडिया टीम और अन्य समर्थक भी इस अवसर पर मौजूद थे। समारोह में बैंड-बाजे के साथ ‘डबल सिक्स’ का उल्लास देखा गया — जैसे क्रिकेट में सिक्स लगने पर खुशी होती है, वैसे ही जीवन के 66वें वर्ष का स्वागत हुआ।

राजनीतिक वंश और बाल्यकाल

ध्रुव नारायण सिंह का जन्म 26 जुलाई 1959 को मध्य प्रदेश के सतना जिले के रामपुर बघेलान में हुआ। वे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के पुत्र और विंध्य प्रदेश के पहले प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री अवधेश प्रताप सिंह के पौत्र हैं। यह राजपूताना विरासत केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि जनसेवा और सामाजिक बदलाव की गहरी परंपरा से जुड़ी रही है।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:
उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा एक अभिजात्य वातावरण में प्राप्त की। भले ही उनके शैक्षणिक विवरण सीमित सार्वजनिक रहे हों, परंतु बचपन से ही राजनीति, खेल और समाजसेवा में रुचि स्पष्ट रही। राजनीति में कदम रखने से पहले वे शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहे।

राजनीति में पदार्पण और चुनावी जीत:
ध्रुव नारायण सिंह की राजनीति का पहला बड़ा पड़ाव 2008 का मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव था। उन्होंने भोपाल मध्य सीट से कांग्रेस नेता नासिर इस्लाम को हराकर जीत हासिल की। विधायक रहते हुए उन्होंने क्षेत्र में विकास, स्वच्छता, सड़क निर्माण और प्रशासनिक पारदर्शिता पर विशेष ध्यान दिया।

व्यक्तित्व और रॉयल छवि:
ध्रुव नारायण सिंह का व्यक्तित्व उनकी शाही विरासत से प्रेरित है। सार्वजनिक मंचों पर उनका करिश्माई अंदाज, सुसंस्कृत वाणी और सहज आत्मविश्वास उन्हें भीड़ से अलग करता है। वे भोपाल डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, जो उनके खेल प्रेम और युवाओं को प्रोत्साहित करने की सोच को दर्शाता है।

उनके वक्तव्य हमेशा चर्चा में रहे

“सर्वमान्य नेता तो गांधीजी भी नहीं थे।”
यह बयान बताता है कि वे भीड़ के पीछे नहीं चलते, बल्कि स्वतंत्र विचारधारा के नेता हैं।

चुनौतियाँ और संघर्ष:
उनकी राजनीति में उतार‑चढ़ाव भी आए। 2011 में शहला मसूद हत्याकांड में उनका नाम आया, परंतु CBI की जांच में उन्हें क्लीन चिट मिली। इस दौर के कारण 2013 और 2018 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी।

2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें पुनः भोपाल मध्य से उम्मीदवार बनाया। यह उनके संघर्ष, पार्टी में पुनः विश्वास और समर्थकों के मजबूत आधार का प्रमाण था।

सामाजिक सेवा और वर्तमान सक्रियता:
ध्रुव नारायण सिंह केवल चुनावी नेता नहीं हैं। वे खेल, शिक्षा, सामाजिक कार्य और पत्रकारिता संवाद में लगातार सक्रिय रहते हैं। उनके निवास और कार्यालय में हमेशा जनता का आना‑जाना लगा रहता है। हाल ही में उन्होंने अपने पिता गोविंद नारायण सिंह की जयंती पर भावुक शब्दों में श्रद्धांजलि दी, जिससे उनकी पारिवारिक आदर्शों के प्रति निष्ठा स्पष्ट होती है।

आज भी प्रासंगिक क्यों?
66 वर्ष की आयु में ध्रुव नारायण सिंह आज भी भोपाल की राजनीति में रॉयल चेहरा हैं। उनकी पारिवारिक विरासत, सादगीपूर्ण जीवनशैली, संघर्षों से उबरने की क्षमता और जनता से जुड़ाव उन्हें अलग पहचान देती है। चाहे वे विधायक पद पर हों या न हों, उनकी जनसंपर्क क्षमता, संवाद कौशल और विकास दृष्टि आज भी उन्हें प्रासंगिक बनाए हुए है।

ध्रुव नारायण सिंह का जीवन राजशाही परंपरा और जनसेवा का अद्भुत संगम है। उनके 66वें जन्मदिवस पर भोपाल और रीवा के लोगों ने जिस प्रकार से प्रेम और सम्मान प्रकट किया, वह उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है। आने वाले वर्षों में उनसे समाज और राजनीति के लिए और बड़े योगदान की अपेक्षा की जा रही है।

लेखक : दामोदर सिंह राजावत, वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक – ईखबर मीडिया

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