निशातपुरा ओवरब्रिज अधूरा, जनता इंतज़ार में – उद्घाटन हुआ, मगर काम अब भी अधूरा

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रेलवे क्रॉसिंग नंबर 119 पर सर्विस रोड अटका अतिक्रमण में, निर्माण विभाग ने निगम को लिखा पत्र

भोपाल। निशातपुरा स्थित करोंद मंडी रेलवे क्रॉसिंग नंबर 119 पर बन रहे ओवरब्रिज का उद्घाटन तो बीते विधानसभा चुनावों से पहले हो गया, लेकिन जनता आज भी अधूरे निर्माण कार्य के कारण परेशानी झेल रही है। लोक निर्माण विभाग (सेतु निर्माण संभाग) द्वारा तैयार किया जा रहा यह आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज) करोंद चौराहे से लेकर डीआईजी बंगले की दिशा में अब भी अधूरा है, जिसकी मुख्य वजह अतिक्रमण को बताया गया है।

तीन बार पत्र, मगर कार्रवाई शून्य
सेतु निर्माण संभाग, भोपाल द्वारा नगर निगम को अतिक्रमण हटाने को लेकर पहले भी तीन बार पत्र भेजे जा चुके हैं बावजूद इसके आज तक निगम ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। अब कार्यपालन यंत्री, लोक निर्माण विभाग ने एक बार फिर निगम आयुक्त को पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि डीआईजी बंगले की ओर के अतिक्रमण को शीघ्र हटाया जाए ताकि ब्रिज के दोनों ओर सर्विस रोड का निर्माण पूरा किया जा सके।

उद्घाटन में कोई कसर नहीं, निर्माण में लापरवाही क्यों?
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस अधूरे ओवरब्रिज का उद्घाटन प्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग द्वारा फीता काटकर किया गया था। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले किसी भी कीमत पर ब्रिज की “उपलब्धि” जनता तक पहुंचाना उद्देश्य था। उद्घाटन भले हो गया, लेकिन जनता को अब भी अधूरे काम के कारण जाम, धूल और असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार बनी, विधायक भी जीते – फिर अधूरा क्यों है ब्रिज?
मंत्री विश्वास सारंग न केवल चुनाव जीते, बल्कि सरकार भी दोबारा बनी। लेकिन इस ब्रिज के निर्माण को लेकर गंभीरता आज तक नहीं दिखी। अब जब चुनावी वादे पूरे करने का वक्त है, तो सवाल उठता है कि क्या यह अधूरा ब्रिज सिर्फ एक प्रचार का जरिया था?

जनता परेशान, सेवा रोड के लिए तरसती
रेलवे फाटक से करोंद चौराहे की तरफ सर्विस रोड का निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन दूसरी तरफ का कार्य अटका हुआ है। स्थानीय लोग आए दिन ट्रैफिक में फंसते हैं, कई बार दुर्घटनाओं का खतरा भी बना रहता है।

अब क्या होगा?
लोक निर्माण विभाग ने पुनः निगम को पत्र भेजकर अतिक्रमण हटाने की अपील की है। यदि नगर निगम जल्द कार्रवाई करता है, तभी यह ओवरब्रिज पूरी तरह से जनता के उपयोग में आ सकेगा। सवाल यह है कि क्या नगर निगम और स्थानीय जनप्रतिनिधि इस ओर गंभीरता से ध्यान देंगे या फिर जनता को और इंतज़ार करना होगा?

रिपोर्ट: ई खबर संवाददाता, भोपाल

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