गया/सहरसा –
गया पुलिस बल की दिवंगत महिला सिपाही भारती कुमारी गांधी (पद संख्या 1365) के सेवान्त लाभ और पारिवारिक पेंशन की पूरी राशि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उनकी विवाहित पुत्री को जारी कर दी गई। इस खुलासे के बाद मृतका के इकलौते पुत्र शानू कुमार ने मगध क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
शानू कुमार, जो सहरसा जिले के सराही गांव के निवासी हैं, ने बताया कि उनकी मां भारती कुमारी का निधन 13 मार्च 2024 को बीमारी के चलते हुआ था। पिता विजय पोद्दार की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। शानू ही वर्तमान में आश्रित और जीवित पुत्र हैं, जबकि उनकी बहन आकांक्षा प्रिया की शादी रोसड़ा, समस्तीपुर में हो चुकी है और वह अपने पति व बच्चों के साथ वहीं रह रही हैं।
शानू का आरोप है कि गया पुलिस कार्यालय के कुछ कर्मियों—
जिला पुलिस के डीएसपी सुबोध कुमार,
पेंशन शाखा प्रभारी देवेन्द्र कुमार,
लेखा शाखा के संतोष कुमार सिन्हा,
एसएसपी आनंद कुमार,
वर्तमान पेंशन प्रभारी रणधीर,
भविष्य निधि शाखा प्रभारी अमरेश कुमार,
तथा लेखा शाखा के अन्य कर्मचारी—की मिलीभगत से फर्जी शपथपत्रों और प्रमाणपत्रों के आधार पर आकांक्षा प्रिया के नाम पर संपूर्ण सेवान्त लाभ और पेंशन का प्राधिकार पत्र जारी कर दिया गया।
कानूनी प्रावधान क्या कहते हैं?
सरकारी कर्मचारी की मृत्यु पर मिलने वाले लाभ केवल आश्रित और अविवाहित संतान को ही मिलते हैं। विवाहित पुत्री, जब तक उसे विशेष रूप से आश्रित घोषित न किया जाए, इन लाभों की अधिकारी नहीं होती।
शानू की मांग:
“मेरी मां की मृत्यु के बाद मुझे न सिर्फ मानसिक आघात पहुंचा बल्कि मेरा कानूनी हक भी छीन लिया गया। मैं चाहता हूं कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और मुझे मेरी मां की सेवान्त राशि और पेंशन मिले।” — शानू कुमार
शानू ने इस घोटाले की शिकायत न केवल पुलिस महानिरीक्षक मगध क्षेत्र से की है, बल्कि बिहार पुलिस महानिदेशक, आर्थिक अपराध इकाई और निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से भी जांच की मांग की है।
अब देखना यह है कि क्या पुलिस विभाग अपने ही कार्यालय में हुए इस फर्जीवाड़े की निष्पक्ष जांच कर शानू को न्याय दिला पाएगा या यह मामला भी सिर्फ फाइलों में दफन होकर रह जाएगा।