बथनाहा के बादल की बुलंदियों की ओर उड़ान: 11 साल की उम्र में बना सिंगिंग का सितारा, लिटिल चैंप बनने का सपना

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बथनाहा (अररिया)।
“जुनून हो तो उम्र नहीं देखती”, यह कहावत बिहार के अररिया जिले के बथनाहा गांव के वार्ड नंबर 14 में रहने वाले 11 वर्षीय बादल कुमार पर बिल्कुल सटीक बैठती है। जन्म 7 जून 2014 को शंभू मंडल के घर जन्मे बादल आज अपने गांव ही नहीं, बल्कि जिलेभर में अपनी सिंगिंग प्रतिभा के लिए चर्चित हो चुके हैं। महज 6वीं कक्षा में पढ़ने वाला यह बालक पिछले एक साल से लगातार गाना गा रहा है और धीरे-धीरे उसकी आवाज़ अब सोशल मीडिया के जरिए लाखों लोगों तक पहुँच रही है।

बादल की गायकी में जो खांसी (क्लासिकल टोन) झलकती है, वह किसी प्रशिक्षित गायक से कम नहीं लगती। खास बात यह है कि इतनी कम उम्र में भी उनकी गायकी में भावनाओं की गहराई और सुरों की स्पष्टता स्पष्ट देखी जा सकती है। उन्होंने खुद से गाना सीखना शुरू किया और अब मोबाइल के माध्यम से खुद ही रिकॉर्ड कर, सोशल मीडिया पर अपने वीडियो साझा कर रहे हैं। इन वीडियो को स्थानीय लोगों से लेकर बाहर के दर्शकों तक सराहना मिल रही है।

बादल के माता-पिता का सहयोग उनकी सबसे बड़ी ताकत है। शंभू मंडल और उनकी पत्नी अपने बेटे की कला को पूरी शिद्दत से समर्थन दे रहे हैं। वह कहते हैं, “बादल जब छोटा था तभी से उसे गानों में रुचि थी। हम चाहते हैं कि वह बड़ा होकर एक अच्छा गायक बने और हमारे गांव, जिले और राज्य का नाम रोशन करे।”

गांव के लोग भी इस बाल प्रतिभा पर गर्व महसूस करते हैं। स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर स्कूल के शिक्षक तक, सभी बादल की तारीफ करते हैं और उसे आगे बढ़ाने की बात करते हैं। स्कूल में भी उसके गाने के कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिसमें बादल ने शानदार प्रदर्शन किया है।

बादल का सपना है कि वह एक दिन “लिटिल चैंप” बने और राष्ट्रीय मंचों पर अपनी आवाज़ का जादू बिखेरे। वह कहते हैं, “मैं एक दिन बड़ा गायक बनूंगा और सबको दिखाऊंगा कि गांव से भी स्टार निकल सकते हैं।”

आज के समय में जहां मोबाइल और इंटरनेट बच्चों को भटकाने का जरिया बन रहे हैं, वहीं बादल कुमार इसका इस्तेमाल अपनी प्रतिभा को निखारने में कर रहे हैं। यह एक मिसाल है उन सभी बच्चों और अभिभावकों के लिए जो अपने बच्चों के सपनों को उड़ान देने से पहले समाज की बातें सोचकर पीछे हट जाते हैं।

अररिया के बथनाहा गांव से बादल की यह उड़ान बताती है कि असली टैलेंट को बस थोड़ा सा प्रोत्साहन और सही दिशा मिल जाए, तो वह किसी भी मंच पर छा सकता है। अब देखना यह है कि यह नन्हा गायक कब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी आवाज़ की छाप छोड़ता है, लेकिन इतना तय है कि उसकी यह यात्रा शुरू हो चुकी है — और दिशा सही है।

रिपोर्ट: ई खबर संवाददाता, अररिया

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