मुजफ्फरपुर/गायघाट।
थरमा गांव के रहने वाले मजदूर हरिमोहन यादव, पिता रामभरोप यादव, ने अपने साथ हुए आर्थिक अन्याय की कहानी मीडिया के माध्यम से साझा की है। हरिमोहन का कहना है कि उन्होंने हरिमोहन यादव और वीरेंद्र साहनी के अधीन रहकर काम किया था, जिसके बदले उनका ₹1,32,000 बकाया था। इसमें से ₹40,000 राशि इटालियन स्टोन कंपनी ने अपनी तरफ से चुका दी, लेकिन शेष रकम अब तक नहीं दी गई।
हरिमोहन का आरोप है कि ठेकेदार वीरेंद्र साहनी न तो भुगतान कर रहे हैं, न ही बात करने को तैयार हैं। वह पिछले 10 दिनों से “पैसा दे देंगे, थोड़ा समय लगेगा” कहकर टालमटोल कर रहे हैं। साथ ही अब दादागिरी और धमकी तक दे रहे हैं कि अगर शिकायत की, तो परिणाम भुगतने होंगे।
मजदूर ने बताया कि उन्होंने अवध बंगला (नरौली) में काम किया था, जहाँ से उन्हें अब तक मेहनताना नहीं मिला है। बंगले के मालिक का नाम विवेक पाटील बताया गया है। हरिमोहन के अनुसार, कंपनी की तरफ से कोई विवाद नहीं है—कंपनी मालिक ने पूरी रकम ठेकेदार को दे दी है, परंतु ठेकेदार ने मजदूरी का पैसा हड़प लिया।
हरिमोहन ने कहा,
“हम मजदूरी रोटी-बोटी के लिए करते हैं। अगर वही रोटी छीन ली जाए, तो मेहनत का क्या मतलब? हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। मैं सबूत सहित अपनी बात कह रहा हूं—मेरे पास सीसीटीवी और सब डिटेल्स मौजूद हैं।”
उन्होंने मीडिया और आम जनता से अपील की है कि मजदूरों की मेहनत की कीमत दिलाने में मदद करें ताकि भविष्य में किसी गरीब के साथ ऐसा अन्याय न हो।