हरी जांटी के पेड़ों की अवैध कटाई का मामला तूल पकड़ता हुआ — सरकारी भूमि पर कब्जे और पेड़ काटने के आरोप, कार्रवाई की मांग तेज

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राजस्थान के चूरू जिले की तहसील कड़वासर में स्थित कृषि भूमि खसरा नंबर 129 को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है। यह जमीन वर्तमान में राजस्व मण्डल में विचाराधीन है और इस पर मृतक मेहनू खां के वारिसान — रूस्तम खान, आरिफ खान, नवाब खान, जंगशेर खान, इकबाल खान, मुस्ताक खान, लियाकत खान — द्वारा कथित रूप से अवैध कब्जा किया गया है।

न्यायालयीन निर्णय के बावजूद अवैध कब्जा बरकरार

प्राप्त जानकारी के अनुसार, उक्त भूमि से जुड़ा एक रेफरेंस केस (मु. 1/2018 — अनुवानी झाबरमल बनाम मेहनू खां) चूरू जिला कलेक्टर के न्यायालय में लम्बे समय तक चला, जिसका निर्णय 1 जनवरी 2020 को पारित हुआ। इस निर्णय में यह स्पष्ट किया गया कि खसरा संख्या 129 की भूमि का ट्रांसफर राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 42 का उल्लंघन करता है। जिला कलेक्टर ने आदेश दिया कि तहसीलदार उक्त भूमि पर से अवैध कब्जा हटाकर उसे राज्य सरकार के नाम दर्ज करें।

हालांकि, आदेश के वर्षों बीत जाने के बाद भी स्थानीय प्रशासन की ओर से इस भूमि पर कब्जा लेने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे कथित कब्जाधारकों का हौसला और अधिक बढ़ गया।

अवैध पेड़ कटाई से पारिस्थितिकी को नुकसान

इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब खसरा संख्या 129 पर खड़ी करीब 30 हरी जांटी (स्थानीय पेड़ प्रजाति) को काट दिया गया। प्रार्थी सांवरमल पुत्र मानाराम, निवासी कड़वासर ने इस बाबत नेता प्रतिपक्ष राजस्थान सरकार को एक लिखित निवेदन सौंपा है। उनके अनुसार, ये पेड़ मौके पर कटे हुए पाए गए हैं और यह कृत्य पूरी तरह से अवैध है।

प्रार्थी ने मांग की है कि —

सभी कटे हुए पेड़ों को तत्काल जब्त किया जाए।

संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

भूमि पर हो रहे अवैध कब्जे को हटाया जाए और उसे राज्य सरकार के नाम नियमित किया जाए।

प्रशासन पर उठे सवाल

इस पूरे प्रकरण ने प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सांवरमल का कहना है कि उन्होंने पहले भी कई बार प्रशासन को अवैध कब्जे की सूचना दी थी, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर समय रहते प्रशासन ने कार्रवाई की होती, तो पेड़ों की कटाई जैसी हरकत को रोका जा सकता था।

अगला कदम क्या?

अब यह देखना होगा कि स्थानीय प्रशासन इस शिकायत पर क्या रुख अपनाता है। क्या पेड़ों की अवैध कटाई और सरकारी भूमि पर कब्जे के इस मामले में आरोपी पक्ष पर कोई ठोस कार्रवाई होती है या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?

हमारी टीम इस मामले पर नजर बनाए हुए है और जैसे ही आगे कोई प्रशासनिक प्रतिक्रिया आती है, हम आपको अपडेट देंगे।

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