वर्क परमिट का 6 लाख का खेल! — समझौते में गड़बड़ी या सुनियोजित ठगी?

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छह लाख का वर्क परमिट सौदा — पीड़िता धीरज चौहान के खुलासे से मचा हड़कंप! समझौते में छिपे राज़ अब सामने आने लगे

नई दिल्ली।
विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर किए गए एक कथित “वर्क परमिट समझौते” ने बड़ा बवंडर खड़ा कर दिया है। यह मामला तब उजागर हुआ जब पीड़ित धीरज चौहान ने पूरे दस्तावेज़ की प्रतियां मीडिया के सामने रखीं।

समझौते में एक जगह ₹6 लाख होने से अब इसकी वैधता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

चार किश्तों में रकम वसूली की साजिश?
समझौते के अनुसार, रकम चार किश्तों में ली जानी थी —

पहली ₹1.50 लाख साइनिंग के समय,

दूसरी ₹1.50 लाख ऑफर लेटर जारी होने पर,

तीसरी ₹1.50 लाख वीज़ा फाइलिंग के वक्त,

चौथी ₹1.50 लाख सबमिशन के दौरान।

धीरज चौहान का कहना है —

“मैंने दस्तावेज़ पर भरोसा करके 3 लाख की रकम डिमांड ड्राफ्ट से दी, लेकिन महीनों बाद भी न वीज़ा मिला, न कोई जवाब। मैंने जब ऑफर लेटर देखा तो वह नकली पाया गया यह एक किस्म का बहुत बड़ा फ्रॉड है नौकरी के नाम पर नकली दस्तावेज लगाकर मेरे साथ ठगी की गई है”

‘दूसरा कंसल्टेंट नहीं ले सकता’ — अनुबंध की विवादित शर्त
समझौते की शर्तों में लिखा है कि “दूसरा पक्ष किसी और कंसल्टेंट से सेवा नहीं ले सकता।”
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह शर्त व्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करती है और ऐसे अनुबंध अवैध माने जा सकते हैं।

‘नो हिडन चार्जेस’ का दावा, पर दस्तावेज़ में गड़बड़ी!
ड्राफ्ट में जगह-जगह टंकण त्रुटियाँ — जैसे “There e no hidden charges” और “Segally binding” — यह दर्शाती हैं कि दस्तावेज़ जल्दबाज़ी या धोखे में तैयार किया गया।

RBI और प्रवासी मंत्रालय की गाइडलाइन पर सवाल
जानकारों के मुताबिक, विदेशी नौकरी या वर्क परमिट दिलाने वाली हर एजेंसी का सरकारी पंजीकरण होना चाहिए।
यदि एजेंसी अपंजीकृत है या रकम सीधे निजी खाते में ली गई है, तो यह धोखाधड़ी (Fraud) की श्रेणी में आता है।

पीड़िता की मांग — ‘जांच हो, ठगों को सज़ा मिले!’
धीरज चौहान ने श्रम विभाग और स्थानीय पुलिस से मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि —

“वर्क परमिट के नाम पर ठगी का यह नया तरीका है। कई लोग चुप हैं, पर मैं चाहता हूँ कि सच सबके सामने आए।”

विशेषज्ञ बोले — यह ठगी का आधुनिक जाल
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —

“अब ठग MoU के नाम पर भरोसा जीतते हैं। लोगों को चाहिए कि किसी भी कागज़ पर हस्ताक्षर करने से पहले उसका कानूनी सत्यापन ज़रूर कराएँ।”

अब सवाल उठता है:
क्या यह असली वर्क परमिट डील थी — या फिर ठगी की चाल?
जांच के बाद ही यह 6 लाख वाला रहस्यमय सौदा खुलकर सामने आएगा।

कंपनी का विवरण

‘एमराल्ड इंडिया’ — ग्रीन पार्क एक्सटेंशन, नई दिल्ली स्थित यह कंपनी (S-16, LMR हाउस) वर्क परमिट और विदेश रोजगार से जुड़ी सेवाओं का दावा करती है। कंपनी का संपर्क नंबर 011-46564790 और 7827260206 बताया गया है, जबकि इसके लेटरहेड पर “Emerald India” नाम अंकित है।

जब पीड़ित धीरज ने अपनी आवाज उठाई तो कंपनी वालों ने कहा की पुलिस तो हमारी जेब में रहती है तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते इस तरह के शब्द कंपनी द्वारा बोले गए और मेरे साथ बहुत बड़ी धोखाधड़ी हुई अब पीड़ित धीरज ने मीडिया के माध्यम से गुहार लगाई है कि मुझे इंसाफ दिलाया जाए और मेरे पैसे वापस किया जाए और आरोपियों पर मानहानि का दावा किया जाए और मुझे आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाए।

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