रतलाम के शहर काजी ने मुस्लिमों के लिए एक फरमान जारी किया है कि मुस्लिम नौजवान महिलाएं बेतिया नवरात्रि के मौके पर मेले में न जाएं और ना ही गरबा देखने जाएं।
नवरात्रि पर्व के साथ ही प्रदेश भर में गरबों के आयोजनों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। गरबा आयोजन को लेकर बीते एक महीने से चर्चाओं का दौर जारी है। कहीं गौ-मूत्र छिडक़ाव की बात कही गई तो कहीं तिलक लगाकर पंडाल में प्रवेश की बात कही जा रही है। इन सभी के बीच मध्य प्रदेश के रतलाम शहर काजी ने मुस्लिम समाज के युवक-युवतियों के लिए एक फरमान जारी किया है जो चर्चा का विषय बन गई है। शहर काजी ने मुस्लिम युवक-युवतियों से कहा कि वह गरबा में न जाएं।
मेले में जाने पर लगाई रोक
दरअसल, रतलाम शहर काजी मौलवी सैय्यद अली साहब ने एहम गुजारिश पत्र में लिखा है कि मुस्लिम युवक और युवतियां गरबे में न जाएं। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया, “तमाम रतलाम की मुस्लिम आवाम से पुरखुलूस गुजारिश है कि मुस्लिम नौजवान, मुस्लिम मा, और इस उम्मत की बाहया बेटिया नवरात्री पर्व पर न ही मेले में जाए और न ही गरबा देखने जाएं। वक्त और हालत को मद्देनजर रखते हुए अपने घरों में रहें। बाजार, मेलों में घूमना दीन-ए-इस्लाम में जायज नहीं है, लिहाजा ऐसे गैर दीनी मामलात से सख्ती से बचा जाएं।
काजी ने बताया कारण
इस पत्र के वायरल होने के बाद शहर काजी मौलवी सैयद आसिफ अली सामने आए और कहा कि मुस्लिम महिलाएं वैसे भी बाहर नहीं जाती क्योंकि पर्दे का हुकुम होता है, लेकिन आजकल के माहौल को देखते हुए मुस्लिम युवक-युवती न जाएं। चूंकि अभी माहौल गर्म है और लोगों के बयान भी आ रहे हैं कि मुस्लिम ऐसी जगह जाएंगे तो हम ऐसा कर देंगे वैसा कर देंगे, इसलिए हमने कहा जो भी मुसलमान है बुजुर्ग बच्चे वह गरबे में न जाएं न मेले में जाएं वह अपने घर पर ही रहे वह बेहतर है। घर पर रहकर नमाज़ पढ़ें इबादत करें। बस इसलिए हमने मना किया कि वह न जाएं।
यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है तो वहीं भोपाल के दशहरा जंबूरी मैदान एक फ्लैक्स बोर्ड भी लगाया गया है जिसमें लिखा है सिर्फ हिन्दुओं को गरबा में आने की इजाजत है।
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