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प्राथमिक स्कूल, छोटे बच्चों को रोज़ाना करना पड़ता है लंबा सफर – ग्रामीणों ने की स्कूल खोलने की मांग

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टीकमगढ़, मध्य प्रदेश (पचेर खास) – टीकमगढ़ जिले की ग्राम पंचायत पचेर उगढ घुरान का पुरवा के अंतर्गत आने वाले गांव पचेर खास में रहने वाले अमर सिंह यादव, उम्र 27 वर्ष, ने अपने गांव की एक अहम समस्या को लेकर आवाज उठाई है। उन्होंने बताया कि आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी गांव में प्राथमिक विद्यालय की सुविधा नहीं है, जिससे गांव के बच्चों को शिक्षा पाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

अमर सिंह यादव का कहना है कि गांव में एक भी स्कूल नहीं है, जिसके कारण बच्चों को पढ़ाई के लिए ढाई से तीन किलोमीटर दूर तक दूसरे गांवों में जाना पड़ता है। यह दूरी छोटी उम्र के बच्चों के लिए बहुत मुश्किल होती है, खासकर तब जब गांव से बाहर निकलने वाली सड़कें भी कच्ची और खराब हालत में हैं। बरसात के मौसम में हालात और भी ज्यादा खराब हो जाते हैं – कीचड़, पानी और फिसलन के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पाते।

गांव में पहले से कम से कम कक्षा पांचवी तक का प्राथमिक विद्यालय खोलने की मांग की जा रही है, ताकि गांव के बच्चों को शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित न होना पड़े। ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षा से ही विकास संभव है, और अगर स्कूल गांव में होगा, तो माता-पिता भी अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित होंगे।

ग्रामीणों की मांगें:

1. गांव में शीघ्र प्राथमिक विद्यालय खोला जाए – कम से कम कक्षा 1 से 5 तक।

2. गांव को पक्की सड़क से जोड़ा जाए, ताकि बच्चों को स्कूल आने-जाने में असुविधा न हो।

3. स्कूल भवन, शिक्षक और बुनियादी सुविधाएं जैसे टॉयलेट, पेयजल, शेड आदि की व्यवस्था की जाए।

प्रशासन से अपील:

ग्रामीणों की यह मांग न केवल जायज है, बल्कि संविधान द्वारा दिए गए शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत पूरी तरह वैध भी है। आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) 2009 के अनुसार, हर बच्चे को उसके निवास स्थान से एक निश्चित दूरी के भीतर स्कूल मिलना चाहिए। ऐसे में टीकमगढ़ जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से अपेक्षा है कि वे इस मुद्दे को प्राथमिकता पर लेकर तत्काल कार्रवाई करें।

यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाली पीढ़ी शिक्षा से वंचित रह सकती है, जिससे समाज में असमानता और पिछड़ापन बढ़ेगा।

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