समस्तीपुर (बिहार), 7 जुलाई 2025
बिहार के समस्तीपुर जिले के एक छोटे से गांव बिन्दगाँवा का 13 वर्षीय बालक अविनाश इन दिनों सोशल मीडिया पर एक नई उम्मीद की मिसाल बनकर उभर रहा है। सीमित संसाधनों और कठिन हालात के बावजूद वह अपने सपनों को मोबाइल कैमरे से पंख दे रहा है।
पिता संतोष पासवान अब इस दुनिया में नहीं हैं और मां जानकी देवी मज़दूरी करके किसी तरह पांच बच्चों का पेट पाल रही हैं। दो भाइयों और तीन बहनों में सबसे छोटा अविनाश अब अपनी मां के साथ संघर्ष की अगली पंक्ति में अकेला खड़ा है। वह कहता है –
“अब मम्मी ही सब कुछ हैं… मैं वीडियो बनाकर कुछ करना चाहता हूं।”
न कैमरा, न स्टूडियो, लेकिन हौसला सुपरस्टार जैसा
अविनाश के पास ना तो महंगे गैजेट हैं, ना कोई टीम। मोबाइल से खुद वीडियो बनाता है, संपादन करता है और खेतों या छत पर बैठकर कंटेंट की स्क्रिप्ट सोचता है। उसकी वीडियो में गांव की सादगी, मां की मेहनत और एक बेटे की जद्दोजहद साफ झलकती है।
इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अविनाश छोटे-छोटे वीडियो बनाकर अपने संघर्ष को लोगों तक पहुंचा रहा है। उसे भरोसा है कि एक दिन उसकी मेहनत रंग लाएगी, और सोशल मीडिया पर पहचान मिलने से उसकी और उसकी मां की ज़िंदगी बेहतर हो पाएगी।
“उम्र छोटी, इरादे बड़े” – एक प्रेरक उदाहरण
अविनाश का सपना सिर्फ वायरल होना नहीं है – वो चाहता है कि उसके गांव, उसके जिले और बिहार के नाम को रोशन कर सके। वो बताता है कि कैसे हालातों से हारने के बजाय उनसे लड़ना चाहिए।
“मैं चाहता हूं कि सोशल मीडिया से कुछ अर्निंग हो, ताकि मम्मी का सहारा बन सकूं।”
ऐसे बच्चों को चाहिए समाज का साथ
अविनाश जैसा बच्चा सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा है। उसकी मेहनत और हिम्मत हम सभी को यह सोचने पर मजबूर करती है कि अगर संसाधनों की कमी के बाद भी कोई आगे बढ़ सकता है, तो हम उसकी मदद क्यों न करें?
👉 अविनाश की इंस्टाग्राम ID: [@avinash4322025]
👉 आपसे अपील: उसके वीडियो देखें, शेयर करें, कमेंट करें…
क्योंकि आपका एक क्लिक उसके लिए उम्मीद की किरण बन सकता है।
ई-खबर की ओर से अविनाश को सलाम! ऐसे बच्चों को न सिर्फ सराहना, बल्कि अवसर भी मिलना चाहिए।