पटना, 5 जुलाई 2025 (ई-खबर )
पटना जिले में जमीन विवादों की श्रृंखला में दो घटनाएं सामने आई हैं। एक मामला बेहद चिंताजनक है, जहां एक परिवार अपने ही गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों से जान का खतरा महसूस कर रहा है, वहीं दूसरी ओर, एक पुराना लगान विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुका है।
पहला मामला: जबरन जमीन कब्जे की कोशिश और जान से मारने की धमकी
गांव के ही निवासी शिव शंकर (पुत्र स्वर्गीय धकड़ू विलास सिंह) और उनके तीन बेटे—चेतन, चंदन सिंह और पिंटू सिंह—पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वे एक परिवार की पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। पीड़ित परिवार ने बताया कि जब उन्होंने इस गैरकानूनी प्रयास का विरोध किया, तो उन्हें जान से मारने की धमकियाँ दी गईं।
परिवार ने प्रशासन और पुलिस से कई बार शिकायत की, लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई। थक-हारकर अब पीड़ित परिवार ने मीडिया की शरण ली है और अपने बयान में कहा—
“अब हम हर दरवाजे पर ठोकर खा चुके हैं। शासन-प्रशासन से अपील करते हैं कि हमें सुरक्षा दी जाए और हमारी पुश्तैनी जमीन पर अवैध कब्जा रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाए।”
परिवार की महिलाओं और बुजुर्गों में डर का माहौल है। पीड़ितों का कहना है कि जमीन उनके पूर्वजों की है, जिसका बंटवारा व वंशावली साफ है, फिर भी दबंगई से जबरन कब्जे की कोशिश हो रही है।
दूसरा मामला: रंजीत सिंह को लगान विवाद में मिली राहत
वहीं दूसरी ओर, पटना सदर अंचल के गौहरपुर निवासी रंजीत सिंह को उनकी पुश्तैनी भूमि पर लगान निर्धारण विवाद में बड़ी राहत मिलती दिखाई दे रही है।
रंजीत सिंह, पिता स्वर्गीय खिलाड़ी सिंह, द्वारा वर्ष 2021-22 में दाखिल वाद संख्या 86/2021-22 में उन्होंने राज्य सरकार के विरुद्ध अपनी जमीन पर नियमित लगान निर्धारण की मांग की थी। इस मामले में उन्होंने खतियान, वंशावली, और अन्य ज़रूरी दस्तावेज़ अंचल कार्यालय में जमा किए थे।
भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सिटी ने 11 फरवरी 2022 को मामले की गंभीरता को देखते हुए पुनः जांच का आदेश दिया था।
जांच के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
संबंधित भूमि का खतियान, बंटवारा पत्र और वंशावली रंजीत सिंह द्वारा उपलब्ध कराए गए।
ग्रामीणों से पूछताछ में वादी का कब्जा प्रमाणित पाया गया।
अंचल अमीन की मापी रिपोर्ट भी वादी के पक्ष में आई।
भूमि का विवरण:
मौजा: सोनवा
थाना संख्या: 32
खाता संख्या: 96
खेसरा संख्या: 611
रकबा: 64 डी
अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि मूल अभिलेख जल्द ही रंजीत सिंह को लौटा दिए जाएंगे और जमीन पर नियमित रूप से लगान निर्धारण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
रंजीत सिंह ने अंचल कार्यालय से अपील की है—
“कृपया मूल अभिलेख शीघ्र लौटाए जाएं ताकि मैं अपनी जमीन से संबंधित प्रशासनिक और कानूनी कार्य आगे बढ़ा सकूं।”
प्रशासन से दोहरी अपील
एक ओर जहां एक परिवार अपनी सुरक्षा और जमीन की रक्षा के लिए गुहार लगा रहा है, वहीं दूसरी ओर, कानून के तहत न्याय की राह पर अग्रसर एक और किसान उम्मीद से भरा हुआ है। यह दोनों मामले बिहार के ग्रामीण इलाकों में भूमि विवाद और प्रशासनिक प्रक्रिया की वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।
अब देखना होगा कि प्रशासन इन मामलों में कितनी तेजी और निष्पक्षता से कदम उठाता है।