सीतामढ़ी, बिहार। चोरौत प्रखंड के अमनपुर गांव निवासी देवचंद्र चौधरी ने अपनी पैतृक जमीन पर दबंगों द्वारा किए गए अवैध कब्जे को लेकर जिला पदाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई है। पीड़ित ने बताया कि वह पिछले 30 वर्षों से दिल्ली में निजी नौकरी करते हुए अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, जिसका फायदा उठाकर गांव के ही सेवानिवृत्त शिक्षक राम नारायण चौधरी और उनके पुत्र मुकेश चौधरी व राकेश चौधरी ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है।
पीड़ित ने डीएम को दिए आवेदन में स्पष्ट किया है कि खाता संख्या 1041, खेसरा संख्या 24863 (रकवा 03 डिसमिल) एवं 24865 (रकवा 16 डिसमिल) की मापी 2 अगस्त 2022 को अंचल अमीन द्वारा कर दी गई थी, जिसमें स्पष्ट रूप से कब्जा गैरकानूनी पाया गया। बावजूद इसके न तो पुलिस ने कार्रवाई की और न ही प्रशासन ने न्याय दिलाया।
“जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है” – पीड़ित की पीड़ा
देवचंद्र चौधरी ने बताया कि वे और उनका परिवार असुरक्षा के भय से जूझ रहे हैं। बार-बार गांव लौटने के कारण उनका रोजगार प्रभावित हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय असामाजिक तत्वों के साथ साठगांठ कर आरोपित उन्हें झूठे केस में फंसाने की धमकी दे रहे हैं।
प्रशासन की चुप्पी और भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल
पीड़ित परिवार ने प्रशासन पर लापरवाही और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि सीमांकन रिपोर्ट में सब कुछ स्पष्ट होने के बावजूद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे स्थानीय प्रशासन की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।
मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री से की अपील
देवचंद्र चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और उनकी जमीन को कब्जा मुक्त कराया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर न्याय नहीं मिला तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
क्या है पूरा मामला
सीतामढ़ी में भूमाफियाओं का आतंक: सेवानिवृत्त शिक्षक और बेटों पर ज़मीन हड़पने का आरोप, पीड़ित ने डीएम से लगाई न्याय की गुहार
सीतामढ़ी जिले के चोरौत प्रखंड अंतर्गत अमनपुर गांव में ज़मीन कब्जे को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। दिल्ली में रह रहे मूल निवासी देवचंद्र चौधरी ने जिला पदाधिकारी को आवेदन देकर आरोप लगाया है कि गांव में स्थित उनकी पुश्तैनी जमीन पर सेवानिवृत्त शिक्षक राम नारायण चौधरी और उनके बेटे मुकेश चौधरी व राकेश चौधरी ने जबरन कब्जा कर लिया है। उन्होंने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
सरकारी सीमांकन में स्पष्ट – ज़मीन पीड़ित की, फिर भी दबंगों का कब्ज़ा
देवचंद्र चौधरी ने बताया कि उन्होंने खाता संख्या 1041, खेसरा संख्या 24863 (रकवा 3 डिसमिल) एवं 24865 (रकवा 16 डिसमिल) की मापी और सीमांकन के लिए ₹2500 की राशि जमा कर 2 अगस्त 2022 को अंचल अमीन से सीमांकन कराया था। रिपोर्ट में जमीन पूरी तरह से उनके नाम पर दर्ज है, लेकिन इसके बावजूद दबंगों ने दो डिसमिल भूमि पर कब्जा कर लिया।
धमकी और झूठे केस की चेतावनी, असामाजिक तत्वों का साथ
पीड़ित का आरोप है कि राम नारायण चौधरी और उनके बेटे स्थानीय असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर जमीन खाली नहीं कर रहे हैं। उल्टा उन्हें बार-बार झूठे केस में फंसाने और अंजाम भुगतने की धमकियां दी जा रही हैं। इससे उनका पूरा परिवार डरा हुआ है।
दिल्ली में रोज़ी-रोटी, गांव में कब्ज़े की लड़ाई
देवचंद्र चौधरी का परिवार पिछले 30 वर्षों से दिल्ली में रह रहा है और निजी नौकरियों के माध्यम से जीविकोपार्जन करता है। मगर ज़मीन विवाद के कारण उन्हें बार-बार दिल्ली से गांव लौटना पड़ रहा है, जिससे उनका आर्थिक और पारिवारिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
प्रशासन की चुप्पी और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल
पीड़ित ने कहा कि despite मापी रिपोर्ट में अवैध कब्जे की पुष्टि होने के बावजूद प्रशासन और पुलिस ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने प्रशासन पर भ्रष्टाचार और दबंगों से मिलीभगत का आरोप भी लगाया है।
मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार, आंदोलन की चेतावनी
पीड़ित ने मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से न्याय की अपील की है। उनका कहना है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो वे न्याय के लिए आंदोलन करने को बाध्य होंगे। उन्होंने मांग की है कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति कर भूमि को कब्जे से मुक्त कराया जाए।