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महिला को घर में घुसकर निर्वस्त्र कर पीटा, बेटी को भी डंडे से पीटा — दलित परिवार पर जानलेवा हमला, आरोप यादव समुदाय के दबंगों पर

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वैशाली जिले के महिपुरा गांव में जातिगत हमले से दहशत का माहौल, पुलिस पर भी लापरवाही का आरोप

वैशाली/हाजीपुर।
जिला के जंदाहा प्रखंड अंतर्गत महिपुरा गांव में दलित की एक महिला और उसके बच्चों पर जानलेवा हमला करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि गांव के ही दबंग यादव समुदाय के कुछ लोगों ने पहले महिला के बेटे को पीटा, फिर महिला को घर से खींचकर बाहर लाया, उसे बुरी तरह पीटा और उसके कपड़े तक फाड़ दिए। पीड़िता ने शिका दंडाधिकारी को दिए आवेदन में पूरे मामले की गंभीर जानकारी दी है और न्याय की गुहार लगाई है।

पीड़िता चन्द्रकला देवी, पति श्री विनोद साह, ने बताया कि 14 जून को शाम करीब 4 बजे उनका 12 वर्षीय बेटा मनीष कुमार घर के बगल स्थित महुआ पेड़ पर चढ़ा था। उसी समय गांव के ही एक अन्य 12 वर्षीय लड़के अनमोल कुमार (पिता हरेन्द्र राय) ने मनीष पर गिट्टी फेंकी, जो पेड़ से टकराकर वहीं पास में बैठी किरण देवी को जाकर लगी। इस छोटी-सी बात पर गांव के चन्दन राय और रविन्द्र राय (दोनों पिता मेसिन राय) आगबबूला हो गए।

पीड़िता के अनुसार, दोनों आरोपी गाली-गलौज करते हुए दौड़े आए और मनीष को जबरदस्ती उठाकर जमीन पर पटक दिया और डंडे से पीटने लगे। जब मां ने बेटे को बचाने की कोशिश की, तो चन्दन और रविन्द्र ने उनके बाल पकड़कर उन्हें भी जमीन पर पटक दिया और उनके कपड़े फाड़ दिए। इतना ही नहीं, आरोपियों ने महिला को निर्वस्त्र कर बांस के डंडे से बुरी तरह पीटा और गला दबाकर मारने की कोशिश की।

जब पीड़िता की बेटी तनुष्या कुमारी मां को बचाने आई, तो उसे भी डंडे से बेरहमी से मारा गया। पीड़िता का आरोप है कि मारपीट के दौरान उनके छोटे बैग में रखा 1500 रुपये कैश और गले में पहने तीन तोले सोने की चेन भी आरोपियों ने लूट ली।

घटना के बाद भी नहीं थमा उत्पात
पीड़िता ने बताया कि अगले दिन भी आरोपी कुछ अन्य लोगों के साथ डंडा लेकर उनके दरवाजे पर पहुंचे और जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने कहा, “यहां यादवों का बोलबाला है, हम जैसे तेली जाति के अल्पसंख्यकों की कोई सुनवाई नहीं होती। पुलिस सबकुछ जानते हुए भी चुप बैठी है।”

ग्रामीणों में डर का माहौल
इस दिल दहला देने वाली घटना से पूरे महिपुरा गांव में भय और तनाव का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि दबंगों के खिलाफ कोई बोलने की हिम्मत नहीं कर रहा। पीड़िता ने शिका दंडाधिकारी से मामले की निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई की मांग की है।

पुलिस की भूमिका पर सवाल
पीड़िता ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। घटना के कई दिन बाद भी ना तो कोई गिरफ्तारी हुई है और ना ही सुरक्षा मुहैया कराई गई है। पीड़िता को आशंका है कि कहीं किसी दिन पूरा परिवार ही मार न दिया जाए।

क्या कहती है प्रशासन?
अब तक इस मामले पर प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पीड़ित पक्ष ने जिला प्रशासन से सुरक्षा, न्याय और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है।

इस शर्मनाक घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बिहार में कमजोर वर्ग आज भी सुरक्षित है? और क्या जातीय ताकत के सामने कानून सच में बौना हो चुका है?

रिपोर्ट: ईखबर संवाददाता, वैशाली

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