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शादी, धोखा और लूट: एक भोले-भाले पति की ज़िंदगी तबाह करने की साजिश!

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जामनगर (गुजरात)/बागीदोरा

यह कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है, लेकिन यह हकीकत है। यह कहानी है जगदीप नंदा की, जिसकी ज़िंदगी तीन साल पहले एक खूबसूरत सपने की तरह शुरू हुई थी, लेकिन आज वही सपना एक डरावने दुःस्वप्न में तब्दील हो गया है।

जगदीप नंदा, उम्र 28 वर्ष, जाति हालारीपानूसाली, मूल निवासी गांधीनगरी, आँखा, तहसील द्वारका, जिला खंभालिया (गुजरात) और उनकी पत्नी मनीषा नंदा, उम्र 23 वर्ष, मूल निवासी बागीदोरा, जिला बांसवाड़ा (राजस्थान) का विवाह 26 जनवरी 2022 को समाजिक रीति-रिवाज से संपन्न हुआ था। शादी के कुछ ही समय बाद पहली बार मनीषा गर्भवती हुई, लेकिन बताया जाता है कि मायके पक्ष की योजना के तहत दवाइयों से उसका गर्भपात करवा दिया गया और इलाज के नाम पर ₹7000 भी हड़प लिए।

इसके बाद जब दूसरी बार वह गर्भवती हुई तो डिलीवरी मायके में ही करवाई गई, वो भी नॉर्मल डिलीवरी। लेकिन इसके बावजूद ₹80000 वसूले गए—जिसमें ₹30000 नगद और ₹50000 ऑनलाइन ट्रांसफर किया गया। बच्ची का नाम सुहानी रखा गया, जो अब महज़ 1 साल की है।

तीन साल की शादी में मनीषा ने केवल 8 महीने ही ससुराल में बिताए। जब सुहानी को ससुराल लाने के लिए जगदीप गया तो मनीषा सिर्फ 2 दिन के लिए आई, और फिर घर में रखे ₹1.95 लाख नगद और करीब ₹5 लाख कीमत के सोना-चांदी लेकर अचानक गायब हो गई। बताया जाता है कि यह घटना 9 अप्रैल 2025 की शाम करीब 7 बजे की है। मनीषा अपने आशिक के साथ मायकेवालों की मिलीभगत से फरार हो गई। बेटी और गहनों को लेकर मायके चली गई। जब जगदीप ने थाने में शिकायत दर्ज करवाई तो आरोप है कि पुलिस ने “समझौते” के नाम पर ₹2.15 लाख ऐंठ लिए। यही नहीं, तलाक की प्रक्रिया में भी लड़की पक्ष द्वारा ₹3 लाख की मांग की गई और रकम ऐंठ ली गई। साथ में मारपीट की गई है। और तलाक नाम है पर जबरदस्ती पुलिस ने दावा बनाकर साइन करवाए हैं।

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब लड़की पक्ष ने 40 लोगों को लेकर थाने में आकर दबाव बनाया, जिनमें गांव के सरपंच और अन्य ग्रामीण भी शामिल थे। ऐसे में जगदीप को बार-बार कानूनी, मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। वो शख्स जो रिलायंस कंपनी में ड्राइवर के रूप में काम करता है, आज न तो अपनी बेटी से मिल पा रहा है और न ही अपने जीवन को सामान्य रख पा रहा है।

एक लुटेरी दुल्हन, एक मासूम बच्ची और एक टूट चुका पति—ये कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि समाज में तेजी से फैल रही उस बीमारी की है, जहां पुरुषों के अधिकार पूरी तरह से नजरअंदाज हो रहे हैं।

कानून और प्रशासन के ढुलमुल रवैये ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर एक पुरुष इस तरह से बार-बार लुटता, टूटता और जलील होता रहेगा तो उसके लिए न्याय का रास्ता आखिर कौन खोलेगा?

यह सवाल आज हर उस व्यक्ति के मन में है जो इंसाफ चाहता है… भले ही वो महिला हो या पुरुष।

रिपोर्ट: विशेष संवाददाता, ई खबर मीडिया

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