खेड़ा। गुजरात में शराबबंदी का कानून सिर्फ नाम का रह गया है। कठलाल तहसील के हलधरवास चौकड़ी में शराब का कारोबार इतना बेखौफ और बेलगाम हो चुका है कि सुबह से लेकर रात तक शराबियों की भीड़ लगी रहती है। गांव के जिम्मेदार नागरिक बताते हैं कि यहां शराब इस आसानी से मिलती है जैसे किराने की दुकान पर नमक-तेल बिकता हो।
हलधरवास चौकड़ी खेड़ा जिले का ऐसा इलाका बन गया है, जहां हर दिन सैकड़ों लीटर शराब बेची जा रही है। इलाके के युवा और नाबालिग लड़के तक इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं। परिणाम यह हो रहा है कि कई परिवार बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। दिनभर चलने वाली इस बिक्री का चरम शाम छह बजे के बाद होता है। फैक्ट्री में पसीना बहाने वाले गरीब मजदूरों की लंबी कतारें लगती हैं। शराब बांटने वाले लोग पूरी बेफिक्री से धंधा चलाते हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि शाम के वक्त यहां का माहौल देखने वाला होता है। जैसे ही फैक्ट्रियों से मजदूर लौटते हैं, शराब की बोतलों के ढेर लग जाते हैं। नाबालिग बच्चों से लेकर अधेड़ तक, हर कोई हाथ में बोतल लिए नजर आता है। कोई इसे मजबूरी कह रहा है तो किसी के लिए यह लत बन चुकी है।
यह हालात तब हैं जब गुजरात सरकार ने शराबबंदी के सख्त कानून बनाए हुए हैं। पर यहां यह सब खुलेआम हो रहा है। शराब माफिया की पहुंच और प्रभाव इतने मजबूत हैं कि कोई आवाज उठाने की हिम्मत नहीं कर पाता। जो लोग विरोध में बोलते हैं, उन्हें दबाने की कोशिशें शुरू हो जाती हैं।
एक समाजसेवी, जिन्होंने नाम गुप्त रखने की शर्त पर यह जानकारी साझा की, कहते हैं – ‘मेरा किसी से कोई निजी झगड़ा नहीं है। मैं सिर्फ अपने गांव और समाज को इस जहर से बचाना चाहता हूं। अगर प्रशासन चाहे, तो शाम के समय गुप्त कैमरे से यहां की हकीकत खुद देख सकता है।’
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि हलधरवास चौकड़ी को शराबमुक्त किया जाए। यहां चल रहे इस धंधे पर तुरंत कार्रवाई हो, ताकि युवा पीढ़ी का भविष्य बर्बाद होने से बच सके।
गुजरात में शराबबंदी की मिसालें दी जाती हैं, लेकिन ऐसे इलाके पूरे कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस धंधे पर नकेल कसने की हिम्मत दिखाएगा या शराब माफिया यूं ही गांव की नसों में जहर घोलते रहेंगे।
यह जानकारी एक जिम्मेदार नागरिक ने दी है, जो समाज की भलाई के लिए अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते।
स्थानीय संवाददाता ई खबर मीडिया की रिपोर्ट